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साक्ष्य, सवाल और सियासत : झीरम मामले में सीएम के बयान पर

रायपुर. झीरम की घटना को लेकर दिए गए सीएम भूपेश बघेल के बयान पर बीजेपी ने तंज कसा है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा, झीरम का सच मुख्यमंत्री की जेब से नहीं निकल रहा है. साक्ष्य जेब में होने का दावा करते थे वो, नहीं निकल रहा है. झीरम के नाम पर भूपेश बघेल को अपना स्टैंड साफ करना चाहिए. अरुण साव ने आगे कहा कि प्रदेश में विकास के काम नहीं हो पा रहे हैं. लोग परेशान हैं. कांग्रेस के विधायक और मंत्री जनता का सामना नहीं कर पा रहे हैं.

वहीं नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि जब माओवादी इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे रहे थे, तब मोटरसाइकिल में कौन था? जो आज सरकार में मंत्री भी हैं, वो मोटरसाइकिल से कैसे भागा? सरकार इस बात को सार्वजनिक करे. ये अनेक अंदेशों को जन्म देता है. पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी, उसकी रिपोर्ट आ गई क्या?

दिवंगत नेता हमारे भी मित्र थे- बृजमोहन

इस मामले पर पूर्व मंत्री और विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने ट्वीट करते हुए सरकार को घेरा. उन्होंने लिखा कि झीरम घटना सिर्फ आपके (सीएम भूपेश) लिए नहीं हमारे लिए भी भावनात्मक है. दिवंगत नेता हमारे भी मित्र थे. इस मामले में राजनीति आप कर रहे हैं, भाजपा नहीं. रही बात सवाल की तो इस घटना को लेकर हमारे मन में, आम जनता के मन में भी ढेरों सवाल उठते हैं. जिसका जवाब हमे भी आपसे चाहिए. आपने कहा कि नक्सलियों ने पूछ पूछ कर गोली मारी है. आप यह क्यों नहीं बताते कि नाम पूछकर जिसको छोड़ा गया आज वो आपके मंत्रिमंडल का प्रमुख सहयोगी है.

नक्सलियों के हिमायती कांग्रेस पार्टी की गोद में बैठे हैं- बृजमोहन

बृजमोहन ने आगे लिखा कि आप तो कहते थे गुनहगारों का नाम जेब में लिए घूम रहा हूं. इतने सालों से किसने आपको रोका है नाम सार्वजनिक करने से? या फिर ऐसा कहना आपकी कोरी बयानबाजी का हिस्सा था. स्पष्ट करें. झीरम मामले में राजनीतिक बयानबाजी करके आप लोगों को नहीं भटका सकते. पूरे देश को पता है कि झीरम घटना के बाद खलबली कांग्रेस पार्टी के भीतर ही मची थी. इस घटना के बाद ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के 2 टुकड़े हुए थे. इस दौरान चले गंभीर आरोप-प्रत्यारोप के दौर को सभी ने देखा है. कभी-कभी सत्य को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती. आपकी कांग्रेस पार्टी का नक्सलियों के साथ कैसा संबंध है यह समय-समय पर जाहिर होता रहता है. पूरे देश भर के नक्सलियों के हिमायती आज कांग्रेस पार्टी की गोद में बैठे हैं.

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