रायपुर/02 मई 2019। ईओडब्ल्यू द्वारा फसल बीमा घोटाले की जांच का कांग्रेस ने स्वागत किया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने फसल बीमा के नाम पर राज्य के लाखों किसानों के साथ धोखा किया था। सरकार पोषित संगठित ठगी की गयी थी। इस मामले की जांच से किसानों के गुनाहगारों को सजा मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा। भाजपा सरकार के संरक्षण में निजी बीमा कंपनियों से मिलीभगत करके राजकोष और निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी कर बीमा कंपनियों ने किसानों की बिना सहमति लिये बोए रकबे से ज्यादा रकबे का बीमा प्रीमियम वसूला था। किसानों से बिना पूछे उनके खाते से पैसा निकाल कर बीमा कंपनियों को दे दिया गया था। जिन किसानों ने धान नहीं लगाया था दूसरी फसल लगाया था, उनके भी प्रीमियम को धान की दर से वसूला गया था। बीमा दावे के भुगतान में भी किसानों को ठगा गया। राज्य में खरीफ बर्ष 2016 से खरीफ-16, खरीफ-17, रबी 17-18 एवं खरीफ-18 में राज्य विषम मौसमी परिस्थितियों से प्रभावित रहा है। परन्तु उपर्यक्त अवधि में प्रदेश के कुल 45.37 लाख बीमित कृषकों में से मात्र 13.41 लाख कृषकों को ही बीमा दावा प्राप्त हुआ था। मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू करके छत्तीसगढ़ के किसानों को लूटा गया। बीमा कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिये भाजपा सरकार ने ऐसी शर्ते बनायी ताकि किसानों को फसल बीमा का फायदा न मिल सके। बीमा कंपनी को ही फायदा मिले। जांच के दायरे में अधिकारियों के साथ-साथ सरकार में बैठे हुये लोगों को भी लाया जाये।
सीमेंट के दामों में बढ़ोतरी भाजपा का झूठा प्रोपोगंडा – कांग्रेस
कांग्रेस ने सीमेंट के दामों में बढ़ोतरी को भाजपाई प्रोपोगंडा बताया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि मुद्दाविहीन भाजपा के पास कांग्रेस सरकार के बारे में कुछ भी नकारात्मक बोलने और कहने को है ही नहीं इसलिये अब भाजपा सीमेंट के दामों की बढ़ोतरी का दुष्प्रचार कर रही है। छत्तीसगढ़ में जब 2003 में कांग्रेस की सरकार थी तब राज्य में सीमेंट की कीमत 99 रू. प्रतिबोरी थी। भाजपा की रमन सरकार बनते ही 2004 में सीमेंट के दाम 120 रू. प्रति बोरी हो गया था। 2005 के शुरूआत में तो सीमेंट के दाम 155 रू. बोरी तक पहुंच गया। 2006 में यह दाम सीधे 200 के ऊपर हो गया। इसके बाद 2008 में सीमेंट कंपनियों ने सीधे 250 से 300 रू. बोरी तक पहुंचा दिया। विपक्ष और जनता ने इस वृद्धि का विरोध किया। जनता ने रमन सरकार पर सीमेंट कंपनियों से सांठगांठ का आरोप लगाया भी, लगाया था लेकिन सीमेंट के दाम घटने के बजाय और बढ़े रमन राज में एक बार फिर से सीमेंट के दाम 325 तक पहुंच गये थे। मांग की गिरावट और वैश्विक मंदी के बाद सीमेंट के दाम फिर से 300 रू. के नीचे गिरा जो 245 से 250 रू. तक पहुंचा। दिसंबर 2018 में रमन सरकार के रहते सीमेंट के दाम 240 से 245 रू. बोरी था लगभग आज भी लगभग वही कीमत है। भाजपाई राजनैतिक स्वार्थवश भ्रम फैलाने सीमेंट के दाम बढ़ने का दुष्प्रचार कर रहे। सीमेंट की कीमतों में हर महीने 8 से 10 रू. की घट बढ़ होती है। यह सीमेंट मेन्यूफेक्चर एसोसिएशन बाजार की मांग के आधार पर निर्धारित करता है। किसी महीने सीमेंट की कीमत 8-10 रू. कम होती है, कभी बढ़ती है। तुलनात्मक रूप से भाजपा के शासनकाल की तुलना में आज भी सीमेंट की कीमतें कम है। भाजपा के राज में तो सीमेंट के दाम 325 रू. बोरी तक पहुंच गया था, तब क्या भाजपा सरकार इसमें रमन और मोदी टैक्स की वसूला करती थी?