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BSP के पूर्व सीईओ एस.चंद्रशेकरन, पूर्व CSP सतपथी समेत 15 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ क्यों चलेगा लूट का मुकदमा..

भिलाई। टाउनशिप के सेक्टर-10 मार्केट में अवैध कब्जा बताकर बीएसपी अधिकारियों ने जिस दुकान को तोड़ा था, उस मामले में न्यायाधीश प्रवीण मिश्रा की कोर्ट ने तत्कालीन बीएसपी सीईओ एस. चंद्रशेकरन और पूर्व सीएसपी वीरेंद्र सतपथी समेत 15 लोगों पर लूट व षड्यंत्र समेत तमाम गैरजमानती धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया गया है। चार साल पुराने मामले में बीएसपी प्रबंधन ने जुनवानी निवासी केएन. प्रेमनाथ नायर की सेक्टर-10 स्थित दुकान को अवैध बताकर तोड़ दिया था। इसके चलते प|ी रेणुका नायर के परिवाद पर अदालत ने धारा 392, 450, 427, 120बी के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। प्रकरण में तीन महीने बाद 8 अगस्त को मामले की सुनवाई होगी।

न्यायाधीश प्रवीण मिश्रा की अदालत ने परिवादी ने अदालत को 16 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज करने की गुहार लगाई। लेकिन कोर्ट ने नगर पुलिस अधीक्षक के मौके पर तैनात रहने की वजह तत्कालीन टीआई के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध करने से इंकार कर दिया।
प्रकरण में कोर्ट ने तत्कालीन बीएसपी सीईओ एस. चंद्रशेखरन, ईडी पीएंडए एलटी. शेरपा, चीफ लॉ ऑफिसर रवि शंकर, जीएम टाउनशिप सुनील कुमार जैन, डीजीएम आलोक झा, एजीएम विजय शर्मा, एजीएम यशवंत कुमार साहू, सीनियर मैनेजर दिलीप राय चौधरी, लॉ ऑफिसर प्रदीप दास, तहसीलदार मधु हर्ष देवांगन, सीएसपी वीरेंद्र सतपथी, कर्मचारी श्रीकांत कन्नौजिया व दुर्गेश राजू के खिलाफ मामला दर्ज है।

चुनाव में उम्मीदवार बनने पर दुकान के अवैध होने का उठा मुद्दा: प्रेमनाथ नायर ने आरोप लगाया कि 2013 के चुनाव में भिलाई नगर से बहुजन पार्टी उम्मीदवार बना। तब राष्ट्रीय पार्टी के लोग दबाव बनाए लेकिन नहीं माने तो अवैध दुकान का मुद्दा बनाने लग गए।

महिलाओं के साथ मारपीट करने की कोर्ट में दी अर्जी : 2014 में कोर्ट में परिवाद दायर किया। मामले को हाईकोर्ट में ले गए। कोर्ट के आदेश पर दोबारा पिटिशन दायर की। स्वीकार कर दुकान के ऊपर बने घर से 50 हजार की नगदी व ज्वेलरी लूट होने की बात कही।

दुकान का परचेजिंग फार्म में लगे 6 साल

केएन. प्रेमनाथ ने कहा, उस दौरान बीएसपी प्रबंधन ने उसकी सेक्टर-10 स्थित दुकान को गलत तरीके से अवैध करार दिया था। 1991 में दुकान क्रमांक 154 तत्कालीन मालिक एसी. बोस से खरीदी थी। साइन के लिए स्टेट आफिस पहुंचे तो बीएसपी अधिकारियों ने क्रय पेपर जमा करने से इंकार कर दिया। 6 साल तक तत्कालीन जीएम शिखर चंद जैन ने हस्ताक्षर जमा कराया।

source by cgmetro

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