नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना का एएन-32 परिवहन विमान सोमवार को असम के जोरहाट से उड़ान भरने के 33 मिनट बाद लापता हो गया. विमान में 13 लोग सवार थे, जिसमें चालक दल के आठ सदस्य व पांच यात्री हैं. विमान ने जोरहाट से दोपहर 12 : 27 बजे अरुणाचल के शि-योमी जिले के मेनचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के लिए उड़ान भरी थी. दोपहर एक बजे उसका जमीनी नियंत्रण से संपर्क टूट गया. मेनचुका चीन की सीमा से महज 35 किलोमीटर दूर है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में एयरफोर्स के वाइस चीफ एयर मार्शल से बात कर सर्च ऑपरेशन के बारे में जानकारी ली. उन्होंने विमान में सवार सभी यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की. वायुसेना ने कहा कि दुर्घटना स्थल के संभावित स्थान को लेकर सूचना मिलने के बाद हेलीकॉप्टरों को उस जगह पर भेजा गया था. हालांकि, वहां कोई भी मलबा नहीं मिला. लापता विमान का पता लगाने के लिए वायुसेना भारतीय थलसेना के साथ-साथ विभिन्न सरकारी एजेंसियों की मदद ले रही है.
रातभर सर्च ऑपरेशन
रूस निर्मित एएन-32 विमान का पता लगाने के लिए वायुसेना ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया, जो रातभर चला. वायुसेना ने दो एमआइ-17 हेलीकॉप्टर के अलावा सी -130 जे और एएन -32 विमान लगाया है, जबकि थलसेना ने एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर तैनात किये हैं.
युद्ध व आपदा में वायुसेना का सबसे बड़ा साथी
एएन-32 रूस में निर्मित दो इंजन वाला ट्रर्बोप्रॉप परिवहन विमान है. वायुसेना बड़ी संख्या में इनका इस्तेमाल करती है. इसकी खासियत है कि यह हर मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है. इसका अधिकतम इस्तेमाल कम व मध्यम हवाई दूरी के लिए सैन्य साजो-सामान पहुंचाने, आपदा के समय लोगों व जवानों को लाने-पहुंचाने में होता है. युद्ध व प्राकृतिक आपदा के दौरान इस विमान ने वायुसेना का बहुत साथ दिया है. कारगिल युद्ध में यह विमान जवानों को दुर्गम स्थानों पर भेजने में अहम साबित हुआ था.
-चीन सीमा के पास है मेनचुका, कोई मलबा नहीं दिखा
33 मिनट में टूटा संपर्क, सोमवार दोपहर एक बजे जमीनी नियंत्रण से संपर्क टूटा
सर्च ऑपरेशन जारी
विमान पर आठ क्रू मेंबर व पांच यात्री सवार
रक्षा मंत्री ने एयरफोर्स के वाइस चीफ से की बात