नई दिल्ली : रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है। अब रेपो रेट (Repo Rate) 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी हो गई है। इससे आपके होम लोन, कार लोन का बोझ कम होगा। रेपो रेट के अलावा आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) को 5.50 और बैंक रेट को 6 फीसदी कर दिया है। ऐसा माना जा रहा था कि मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत दरों (रेपो रेट) में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने से रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ गया था।
विशेषज्ञों का भी मानना था कि केंद्रीय बैंक सस्ते कर्ज के जरिए बाजार में तरलता बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने की कोशिश करेगा। वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है जिसके मद्देनजर रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बढ़ी है।
RBI लगातार दो बार कर चुका है कटौती
पिछली दो बैठकों में भी नीतिगत दरों में चौथाई-चौथाई प्रतिशत की कटौती कर चुकी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली एमपीसी की तीन दिन की बैठक चार जून से शुरू हुई थी। भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी हालिया शोध रिपोर्ट में भी कहा था कि रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में 0.25%से अधिक बड़ी कटौती करनी होगी, जिससे अर्थव्यवस्था में सुस्ती को रोका जा सके।
आर्थिक गतिविधियों में आयी सुस्ती और वर्ष 2018-19 की अंतिम तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के गिरकर 5.8 प्रतिशत पर पहुंचने के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक तंत्र में तरलता बढ़ाने के उद्देश्य से नीतिगत दरों में आधी फीसदी तक कटौती कर सकता है।
इंडस्ट्री की भी थी मांग
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने भी कहा कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन के लिए केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों में कटौती को जारी रखना होगा। उन्होंने कहा, उपभोक्ता सामान खंड में उत्पादन और बिक्री में कमी को दूर करने की जरूरत है। यात्री कारों, दोपहिया और गैर टिकाऊ सामान क्षेत्र में बिक्री में वृद्धि की जरूरत है।