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बदलने लगी है गृहमंत्रालय की कार्य संस्कृति, गृहमंत्री खुद से पेश कर रहे हैं अधिकारियों के लिए उदाहरण

नई दिल्ली। देश के 130 करोड़ लोगों की सुरक्षा की जि़म्मेदारी संभालने वाले गृहमंत्रालय की कार्य संस्कृति भी अब तेजी से बदलने लगी है। मंत्रालय और अधिकारी की चुस्ती बढ़ने लगी है और जाहिर तौर पर श्रेय नए गृहमंत्री अमित शाह को दिया जा रहा है। अभी महज एक सप्ताह का वक्त गुजरा है, लेकिन मंत्रालय के गलियारों में यह स्पष्ट सुना जा सकता है कि जो कुछ अब तक चलता रहा, वह अब नहीं चलेगा और जो भी यहां टिकना चाहता है उसे बदलना होगा।

पहले दिन से ही शाह ने अधिकारियों को यह संदेश दे दिया है कि देशहित में जो भी फैसला लेना है उसमें तनिक भी देर नहीं होनी चाहिए। लिहाजा अपने-अपने विभागों का प्रजेंटेशन तैयार करें तो यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि और क्या किया जाना चाहिए। ऐसे कौन से मामले हैं जो किसी हिचक के कारण अटके पड़े हैं। लिहाजा अधिकारियों ने न सिर्फ फाइलों पर पड़ी धूल साफ करनी शुरू की है बल्कि अपनी सोच को विस्तार देना भी शुरू कर दिया है। उन्हें यह साबित करना होगा कि आंतरिक सुरक्षा के जिम्मेदार गृहमंत्रालय में उनकी उपयोगिता है।

संगठन में अपनी मेहनत का लोहा मनवा चुके शाह पहले दिन से ही मंत्रालय में इसका उदाहरण पेश कर दिया है। उनके लिए प्राथमिकता तय होती है और छुट्टियों में भी आफिस आना उनके लिए सहज है। यही कारण है कि अधिकारी भी अब सुबह जल्द आने लगे हैैं और देर रात तक बैठने की आदत बनाने लगे हैं। शाह ईद की सार्वजनिक अवकाश के दिन भी काम पर थे और ज़ाहिर है उनके साथ गृहमंत्रालय के अधिकारी भी।

गृहमंत्रालय में अधिकारियों के देर से आने और जल्दी चले जाने की समस्या का निदान निकालने की सबसे पहली कोशिश बायोमेट्रिक लगाकर पी चिदंबरम ने की थी, लेकिन गृहमंत्री के रूप में वे कभी भी पूरे दिन आफिस में नहीं बैठे। जबकि अमित शाह हर दिन लगभग 10 बजे आफिस पहुँच जाते हैं और दोपहर का खाना भी वहीं खाते हैं। जबकि अभी तक वरिष्ठ अधिकारियों के भी घर जाकर खाना खाने की परंपरा रही थी।

गृहमंत्री के रूप में अमित शाह ने एक और नया मापदंड स्थापित किया है। दफ़्तर में सिर्फ दफ़्तर का काम। पिछले एक हफ़्ते में कोई भी बड़ा राजनेता सिर्फ राजनीतिक चर्चा या मुलाक़ात के लिए गृहमंत्रालय नहीं पहुँचा। राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों की मुलाक़ात भी कामकाज के सिलसिले में रही।

गृहमंत्री और भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद सरकार और पार्टी के काम में स्पष्ट अंतर रखे जाने को इस बात से समझा जा सकता है कि कार्यभार संभालने के समय पार्टी के कुछ लोग भी गृहमंत्रालय पहुँचे थे, लेकिन पांच मिनट में ही उन्हें वापस भेज दिया गया।

पिछले एक हफ़्ते में अमित शाह के साथ काम करने वाले अधिकारियों के अनुसार शाह किसी भी विषय में काफ़ी विस्तार से जाते हैं और अधिकारियों को बड़े निर्णय लेने को प्रोत्साहित करते हैं। उनका सिर्फ एक लाइन का निर्देश होता है कि फ़ैसला देशहित में होना चाहिए।

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