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छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग छात्रों ने बनाया अनूठा 3डी प्रिंटर

भिलाई। भिलाई के छह इंजीनियरिंग छात्रों ने कमाल कर दिखाया है। इन सभी ने पहले तो एक स्टार्टअप कंपनी स्थापित की ओर फिर इस कंपनी के जरिए एक ऐसा थ्रीडी प्रिंटर विकसित किया जो अब देश में अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास के काम में आ रहा है। टेकबी कंपनी के बनाए टेरेक्स नाम के थ्री-डी प्रिंटर की विशेषताओं को देखते हुए इसरो सहित कई अन्य संस्थान अब इन्हें प्रिंटर के लिए ऑर्डर दे रहे हैं। चार लाख रुपये की शुरूआती लागत से खड़ी की गई यह कंपनी महज दो वर्षों में छह करोड़ रुपये के टर्न ओवर तक पहुंच गई है। छह लोगों से शुरू हुई यह कंपनी अब सैकड़ों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रही है।
सैकड़ों युवाओं को कंपनी में मिला रोजगार
अपने तकनीकी नवाचार और शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए इनक्यूबेशन के अवसरों का पूरा इस्तेमाल कर स्टार्टअप कंपनी टेकबी स्थापित की गई है। इस कंपनी में 60 इंजीनियरों के साथ-साथ टेक्नीशियन और सेल्स स्टाफ को रोजगार मिला है। कंपनी में लगभग 15 इंजीनियर अभी इंटर्नशिप कर रहे हैं। कंपनी के डायरेक्टर अभिषेक अम्बष्ट ने बताया कि हमने कालेज की पढ़ाई के दौरान इंटरनेट की सहायता से थ्री-डी प्रिंटर का मॉडल तैयार किया था। इसे आईआईटी खडग़पुर, कानपुर आदि में डिस्प्ले किया गया। यहां मिले अनुभवों के आधार पर इसे और बेहतर तरीके से विकसित किया गया। फिर छोटी सी पूंजी से स्टार्टअप के जरिए काम शुरू किया। अब इसके पेशेवर इस्तेमाल की काफी संभावना को देखते हुए भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) और रक्षा अनुसंधान संस्थान (डीआरडीओ) से भी हमें इसकी सप्लाई के ऑर्डर मिले हैं।
विदेशों से भी मिल रहे सप्लाई के ऑर्डर
कंपनी के डायरेक्टर अभिषेक अम्बष्ट ने बताया कि राज्य शासन के उद्योग विभाग ने इनक्यूबेशन में पूरी मदद की। जहां भी युवाओं के स्टार्टअप को बढ़ावा देने का मंच था, वहां हमें जगह दी गई। इससे हमें क्लाइंट तक पहुंचना आसान हुआ। आज हम क्लाइंट की जरूरतों के मुताबिक थ्रीडी प्रिंटर तैयार कर रहे हैं। कंपनी की यूनिट भिलाई और दिल्ली में है। थ्री-डी प्रिंटर के माध्यम से कई तकनीकी चीजें आसान हो जाती हैं। कंपनी में प्रोडक्शन डायरेक्टर विकास चौधरी ने बताया कि वेंडर के माध्यम से सप्लाई विदेशों में भी आरंभ हो गई है। अभी इथियोपिया में हमारी कंपनी के थ्री-डी प्रिंटर का आर्डर हुआ है।
इस वजह से इसरो के लिए उपयोगी
कंपनी के सीओओ मनीष अग्रवाल ने बताया कि हम अभी स्पेस की जरूरतों के मुताबिक थ्री-डी प्रिंटर तैयार कर रहे हैं। क्योंकि स्पेस में हल्के वजन वाली धातुओं से बने हुए डिजाइन ज्यादा उपयोगी होते हैं। इसरो के मैनेजमेंट ने इस संबंध में अपनी जरूरत बताई है। इस पर अभी काम हो रहा है। उपयोगी लगने पर इसरो के प्रबंधन ने इस पर भी विचार करने की बात कही है। फिलहाल वेंडर के माध्यम से भी थ्री-डी प्रिंटर की सप्लाई हो रही है।

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mitan bhoomi

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