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राफेल मामला: रिव्यू पिटिशन और राहुल गाँधी के बयान पर फैसला SC ने रखा सुरक्षित

नई दिल्ली : राफेल मामला में दायर पुनर्विचार याचिका और राहुल गांधी की टिप्पणी से हुई सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया है। राफेल सौदे पर उच्चतम न्यायालय ने सभी पक्षों से कहा कि वे 2 हफ्ते में लिखित दलीलें दे सकते हैं।

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने बीते सोमवार (6 मई) को अपने आदेश के विपरीत राफेल पर उसके फैसले से जुड़ी पुनर्विचार याचिकाओं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ”चौकीदार चोर है” टिप्पणी गलत तरीके से उच्चतम न्यायालय के हवाले से कहने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका को सुनवाई के लिये अलग-अलग सूचीबद्ध करने से ”थोड़ी हैरानी” जताई थी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक विशेष पीठ ने कहा था कि उसने पहले ही यह स्पष्ट किया था कि दोनों मामले साथ सुने जाएंगे लेकिन इसके बावजूद, अवमानना याचिका को सुनवाई के लिये सोमवार को पुनर्विचार याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध नहीं किया गया।

पीठ को बताया गया कि गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका 10 मई को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध की गई है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल और के एम जोसेफ भी शामिल हैं। पीठ कहा, ”हम थोड़ा उलझन में हैं कि दो मामले दो अलग-अलग तारीखों पर सूचीबद्ध हैं जबकि इनकी एकसाथ सुनवाई करने का आदेश था।” पीठ ने कहा, ”यह समस्या है। दोनों मामलों को साथ सूचीबद्ध करने का आदेश था। हमने खुली अदालत में आदेश दिया था लेकिन इसमें कहा गया है कि एक मामला छह मई को सूचीबद्ध है और दूसरा 10 मई को। यह कैसे हो सकता है?”

संक्षिप्त सुनवाई के बाद, पीठ ने आदेश दिया कि पुनर्विचार याचिकाओं और गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका को एक साथ 10 मई को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया जाए। पीठ ने कहा, ”मौजूदा मामलों और अ‍वमानना याचिका (आपराधिक)… को 10 मई को अपराह्न दो बजे एक साथ सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया जाए।” पीठ ने अपने आदेश में कहा, ”हम यह स्पष्ट करते हैं कि 10 मई को सुनवाई निर्धारित की गई है और पक्षकारों को बताई गई तारीख पर इसे पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। इसबीच में भारत सरकार के जवाबों का प्रति उत्तर दिया जा सकता है।”

मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के साथ याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने शुरुआत में पीठ को बताया कि अदालत के समक्ष तीन याचिकाएं हैं। भूषण ने कहा कि पुनर्विचार याचिका के अलावा दो और आवेदन हैं– एक में अज्ञात सरकारी कर्मियों के खिलाफ पूर्व में राफेल की सुनवाई के दौरान कथित तौर पर अदालत को गुमराह करने के लिये कार्रवाई की मांग की गई है और दूसरी कुछ दस्तावेज पेश करने से जुड़ी है।

भूषण ने कहा कि वह पुनर्विचार याचिका और कुछ दस्तावेजों को पेश करने के आवेदन पर दलील रखेंगे और अदालत शपथ लेकर झूठी गवाही देने से जुड़े मामले में शौरी को दलील रखने की अनुमति दे। पीठ ने पूछा, ”क्या यह अवमानना से संबंधित मामला है?” एक याचिकाकर्ता वकील विनीत ढांडा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने न्यायालय के 30 अप्रैल के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अवमानना याचिका 10 मई को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध थी।

पीठ ने कहा, ”हमने कहा था कि दोनों मामलों को साथ में सूचीबद्ध किया जाए।” राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ”चौकीदार चोर है” की अपमानजनक टिप्पणी की थी जिसके बारे में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि यह उसके नाम से गलत कहा गया है। शीर्ष अदालत ने 30 अप्रैल को राहुल गांधी को अपनी टिप्पणियों के बारे में एक और हलफनामा दाखिल करने के लिये अंतिम अवसर दिया था।

कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने वकील के माध्यम से यह स्वीकार किया था कि उन्होंने इस टिप्पणी को गलत तरीके से शीर्ष अदालत के नाम से कहकर गलती की थी। इस पर न्यायालय ने कहा था कि पहले दाखिल हलफनामे में एक स्थान पर कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी गलती स्वीकार की है और दूसरे स्थान पर अपमानजनक टिप्पणी करने से इंकार किया है।

शीर्ष अदालत ने 14 दिसंबर के अपने फैसले में कहा था कि फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिये फैसला लेने की प्रक्रिया में किसी भी तरह का संदेह करने की कोई वजह नहीं है। न्यायालय ने इसके साथ ही इस सौदे में अनियमितताओं की जांच के लिये दायर सभी याचिकायें खारिज कर दी थीं।

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