दंतेवाड़ा : दंतेवाड़ा के नक्सल विरोधी अभियान में पहली बार महिला पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया है। डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड्स) की तर्ज पर 30 महिला पुलिसकर्मियों की टुकड़ी तैयार की गई है। इस टुकड़ी को ‘दंतेश्वरी फाइटर्स’ का नाम दिया गया है। खास बात यह है कि इस टीम में 7 सरेंडर कर चुकी महिला नक्सली भी हैं। 8 मई को हुए एनकाउंटर में बैकअप पार्टी के तौर पर पहली बार दंतेश्वरी फाइटर्स की 12 महिला कमांडो को शामिल किया गया था।
बस्तर में नक्सल ऑपरेशन के दौरान बस्तर पुलिस के साथ सीआरपीएफ की भी शामिल होती है। दोनों ही आपस में तालमेल स्थापित कर यहां काम कर रही हैं। दंतेवाड़ा को सीआरपीएफ की बस्तरिया महिला बटालियन की कंपनी मिल गई हैं। यहां फोर्स की महिलाएं तैनात होते ही पुलिस ने भी महिलाओं को नक्सल ऑपरेशन की रणनीति का हिस्सा बना दिया है। सीआरपीएफ के बस्तरिया बटालियन की 30 सदस्य और जिला पुलिस बल के 30 दंतेश्वरी फाइटर्स यानि कुल 60 कमांडो मिलकर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाएंगी।
महत्वपूर्ण बात ये है कि दोनों ही टीम की महिलाएं बस्तर की ही स्थानीय निवासी हैं। दंतेश्वरी फाइटर्स में हथियार डालने वाली कुछ महिला नक्सली भी हैं। सीआरपीएफ की बस्तरिया बटालियन की महिलाएं और दंतेश्वरी फाइटर्स आपस में समन्वय स्थापित कर सघन इलाकों में नक्सल ऑपरेशन पर भी जाएंगी। इन्हें ट्रेनिंग असिस्टेंट कमांडेंट आस्था भारद्वाज व दंतेवाड़ा की डीएसपी दिनेश्वरी नन्द के नेतृत्व में दी जा रही है। पहले से प्रशिक्षित सीआरपीएफ टीम को ट्रेनिंग देने के लिए इसलिए चुना गया है ताकि दंतेश्वरी फाइटर्स को सहज माहौल के साथ अच्छा प्रशिक्षण मिल सके।
9 मई से शुरू हो चुका है महिला कमांडोज का प्रशिक्षण
इस दस्ते को खास ट्रेनिंग सीआरपीएफ की टीम दे रही है। कारली के अलावा कई जगह प्रशिक्षण दिया जाएगा। नक्सल ऑपरेशन के लिए ट्रेनिंग की शुरुआत हो चुकी है। प्रशिक्षण के दौरान बाइक चलाने के साथ महिला कमांडो टीम को निशाना साधने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। वहीं जंगल वॉर के लिए भी इन महिला कमांडो को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दंतेवाड़ा में डीआरजी की अभी 5 टीमें हैं। नक्सल ऑपरेशन के लिए इन्हीं टीमों को भेजा जाता है। इस टीम में डीआरजी के जवान से लेकर सरेंडर नक्सली भी शामिल हैं। अब छठवीं टीम महिलाओं की होगी।
महिलापुलिस कर्मियों की यह टुकड़ी आईईडी निकालने से लेकर नक्सलियों की धरपकड़ का काम करेंगी। इन्हें क्षेत्र की हर परिस्थितियों से अवगत कराने के बाद ही मैदान में उतारा जाएगा। ताकि नक्सलियों के हर मंसूबे विफल हो सकें। हथियार चलाना सीख चुकी इन महिला पुलिसकर्मियों को बाइक चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। वो इसलिए क्योंकि अमूमन नक्सल ऑपरेशन के लिए गश्त पर जवान पैदल या फिर दोपहिया से ही निकलते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि नक्सली सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने बम प्लांट किये होते हैं।
अकेले ऑपरेशन पर भी जाएगी टुकड़ी
पुलिस व नक्सलियों के बीच हुई हर बड़ी मुठभेड़ में महिला नक्सली भी शामिल रहती हैं। साल 2017 में बुरगुम में हुए एनकाउंटर में महिला नक्सलियों ने पूरी कमान संभाली हुई थी, हालांकि जवानों ने मुंहतोड़ जवाब देकर 8 लाख की इनामी नक्सली पाले को ढेर किया था। अब नक्सलियों से मुकाबला कर महिला पुलिसकर्मियों की ये टुकड़ी उन्हें धूल चटाएगी। इस टुकड़ी को अकेले नक्सल ऑपरेशन के लिए भेजा जाएगा।
ऑपरेशन में सरेंडर नक्सल दंपती को भी भेजा जाएगा
एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि दोनों टीम मिलकर दंतेवाड़ा में नक्सलियों की कमर तोड़ने का काम करेंगी। वहीं डीआरजी की टीम में शामिल सरेंडर नक्सली तो ऑपरेशन में जाते ही हैं, इनके साथ सरेंडर कर चुकी इनकी पत्नियों को भी ऑपरेशन में भेजा जाएगा। यानि हर छोटे बड़े ऑपरेशन में सरेंडर नक्सली पति-पत्नी दोनों को भेजा जाएगा। अब तक ऐसे 7 जोड़ों को इसमें शामिल किया गया है जो एक समय बड़े इनामी नक्सली हुआ करते थे।
source by DB