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BJP प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव, कांग्रेस सरकार की कार्यशैली पर सवाल

रायपुर । भाजपा प्रदेश कार्यसमिति में आज राजनीतिक प्रस्ताव रखा गया। इस राजनीतिक प्रस्ताव के प्रस्तावक बृजमोहन अग्रवाल रहे, जबकि प्रस्ताव का समर्थन केदार कश्यप ने किया। राजनीतिक प्रस्ताव में कांग्रेस सरकार की कार्यशैली की आलोचना के साथ-साथ वादाखिलाफी का जिक्र किया गया।

एकात्म परिसर में आयोजित प्रदेश कार्यसमिति बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष Dr Raman Singh, राष्ट्रीय महामंत्री व सांसद Saroj Pandey, अजजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद Ramvichar Netam, केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, प्रदेशाध्यक्ष Vikram usendi, संगठन महामंत्री पवन साय, नेता प्रतिपक्ष Dharamlal Kaushik, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष Gaurishankar Agrawal समेत अन्य पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित हैं।

राजनीतिक प्रस्ताव

भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ की यह कार्यसमिति ऐसे समय में हो रही है, जब भारत एक नए युग में प्रवेश कर चुका है. ऐसे समय में जब भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली है. वास्तव में यह भारत का पुनर्जागरण काल है. इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जैसा अभूतपूर्व जनादेश मिला है, इसके लिए यह कार्यसमिति अपने नेता प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का अभिनन्दन करती है, साथ ही श्री अमित शाह के सांगठनिक नेतृत्व में हासिल इस उपलब्धि के लिए अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रति भी अशेष आभार व्यक्त करती है. इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी की यह कार्यसमिति देश/प्रदेश की जनता, मतदाता बंधुओं का अशेष आभार व्यक्त करते हुए यह विश्वास दिलाती है कि भाजपा अहर्निश देश सेवा में स्वयं को समर्पित कर भारत को विश्व के सबसे महान देश बनाने के उसके जगह पर पुनर्स्थापित करने सदैव पुरी निष्ठा के साथ तत्पर रहेगी.
भारतीय जनता पार्टी को मिले 303 सीटों में से 220 सीटों पर 50 पचास प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलना यह दिखाता है कि वास्तव में इस बार भारतीय लोकतंत्र ने ‘बहुमत का शासन’ के लिए जनादेश दिया है. जनता ने भाजपा नीत राजग को 353 सीट देकर मजबूत लोकतंत्र एवं सशक्त भारत निर्माण में अपनी महती भूमिका निभायी है. छत्तीसगढ़ समेत तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नैराश्य से उबरते हुए भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में लोकसभा चुनाव में जैसा प्रदर्शन किया है, यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित होने योग्य है. गत विधानसभा चुनाव में पार्टी को छग में 75 विधानसभा सीटों पर हार का मूंह देखना पड़ा था, इसके उलट मात्र सौ दिन के भीतर भाजपा तब के 15 सीटों के उलट 66 सीटों पर बढ़त बनाने में कामयाब रही, यह राजनीति शास्त्र के अध्येताओं के लिए भी आश्चर्य का विषय होगा. मात्र सौ दिनों के भीतर प्रदेश में भाजपा ने अपने मतों में 18 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि हासिल की है, अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के आह्वान को पूरा करते हुए पहली बार प्रदेश में पार्टी 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करने में सफल रही, इस उपलब्धि के लिए भाजपा के दैव दुर्लभ कार्यकर्ताओं की जितनी प्रशंसा की जाय, कम है.
जहां भारतीय जनता पार्टी का इतने कम समय में पुनः न केवल अपना जनाधार हासिल करना अद्भुत है बल्कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा इतनी जल्दी, इतना ज्यादा अलोकप्रिय होना भी एक रिकॉर्ड ही है. प्रदेश की जनता ने जिस उम्मीद से कांग्रेस को सत्ता सौंपी थी, उसके जिस ‘वक्त है बदलाव का’ नारे पर भरोसा कर लिया था, वह जल्द ही समझ गयी कि कांग्रेस के लिए यह जनादेश केवल ‘वक्त है बदला का’ बहाना था. दुर्भाग्यजनक है कि अपना सारा चुनावी वादा भूल कर कांग्रेस सरकार केवल प्रतिशोध की राजनीति में जुट गयी है. उसका दुष्परिणाम सामने है. हर रचनात्मक कार्य करने में विफल भूपेश सरकार अब बौखलाहट में, सोशल मीडिया पर लिखने वालों तक को निशाना बना रही है. प्रदेश में अघोषित आपातकाल जैसे हालात हो गए हैं. इससे पहले कभी भी छत्तीसगढ़ ने अभिव्यक्ति की आज़ादी पर इतना संकट नहीं देखा था. प्रदेश की जनता को शासन का ही भय सताने लगा है. यह प्रदेश के लिए विषम परिस्थिति है. प्रदेश की यह कार्यसमिति कांग्रेस सरकार को चेतावनी देना चाहती है कि वह जिन वादों के साथ सत्ता में आयी है, उसे पूरा करे और अपनी विफलताओं की बौखलाहट में जनता का दमन नहीं करे. छग कांग्रेस को, भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सरकार से सीख लेना चाहिए, जिसने समानता, सदभाव एवं विकासवादी सरकार चलाकर छत्तीसगढ़ को देश के मानचित्र में एक प्रतिष्ठापूर्ण स्थान दिलाया और विकास एवं गरीबों की सेवा के नित नये कीर्तिमान स्थापित किये.

इसके उलट आज छत्तीसगढ़ में अराजकता और असुरक्षा का माहौल है. बस्तर से भाजपा के हमारे एकमात्र विधायक भीमा मंडावी जी की नक्सलियों द्वारा की गयी दुखद हत्या से भाजपा मर्माहत है. ऐसा लग रहा है कि किसी अज्ञात साज़िश का शिकार होकर प्रदेश सरकार या तो नक्सलियों के प्रति नरम है या फिर ऐसा प्रतीत होता है मानो सिस्टम में ही शहरी नक्सली घुस गए हैं और वे शासकीय निर्णयों को प्रभावित कर रहे हैं. भूपेश बघेल जी के मुख्यमंत्री बनने के महज 160 दिनों के कार्यकाल में ही जनता स्वयं को ठगा महसूस करने लगी है. गांव-गरीब-किसानों में निराशा है. वे छले गए हैं. किसानों द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिया क़र्ज़ माफ़ नहीं हुआ है. उनका केसीसी माफ़ नहीं हुआ. नो ड्यूज नहीं मिला है जिसके कारण प्रदेश के लाखों किसान आज डिफाल्टर घोषित होने के कगार पर हैं. आज लाखों किसानों को नोटिस मिल रहा है. वे आतंकित हैं. उन्हें केसीसी समेत अन्य लोन मिल नहीं पा रहा है. वे जेल भेजे जा रहे हैं. इसके अलावा घोषणा पत्र में किये गए वादे के अनुरूप किसानों के सभी क़र्ज़ माफ़ होने चाहिए थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने धोखाधड़ी का एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत कर आधे-अधूरे ऋण माफी पर ही अपनी पीठ थपथपा रही है.
इसी तरह विद्युत उपभोक्ता जहां बिजली बिल आधा होने की आशा में थे, वहां उनकी बिजली ही आधी हो गयी. बिलों में भी बेतहाशा वृद्धि की ख़बरें आ रही हैं. दुखद है कि 23 हजार मेगावाट विद्युत उत्पादन वाले हमारे राज्य में बिजली बिल हाफ करने के बजाय बिजली साफ़ करने का काम आरम्भ हो गया. भीषण गर्मी में आम जनता घंटों अघोषित कटौती से तंग आकर त्राहि त्राहि करने लगी है. अपनी पीड़ा लिखने पर लोगों को जेल भेजा रहा है. ऐसे संवैधानिक हालात कभी नहीं हुए जब स्वयं मुख्यमंत्री यह तय करने लगे हैं कि जनता को किस आरोप में जेल भेजे जायें और किस मामले में कौन सी धारा लगायी या हटाई जायेगी, यह आदेश भी सीधे सीएम ही देने लगे हैं.
प्रदेश में शराबबंदी का झूठ परोस कर कांग्रेस ने माताओं-बहनों का समर्थन हासिल किया था लेकिन उलटे यहां शराब से कांग्रेस अपना खजाना भर रही है. लोकसभा चुनाव से पहले यह खबर आयी थी कि चुनावी खर्च के लिए कांग्रेस ने शराब के कारोबार को लगभग अपने हाथ में ले लिया है. शराब फैक्ट्रियों से काफी माल सीधे दुकानों में भेजे जा रहे हैं. और उसका राजस्व कहीं और जा रहा है. मनमाना कीमत पर शराब बेचे जा रहे हैं. जनता की गाढ़ी कमाई सीधे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है. राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आने ही चना, एवं अमृत नमक बिना किसी आदेश के बंद कर गरीबों के पेट पर लात मारी गयी है.
प्रदेश के लाखों युवाओं को रोजगार के झूठे सपने दिखाए गए. चुनाव के समय कांग्रेस द्वारा उन्हें भत्ता आदि देने का प्रलोभन दिया गया. पर अभी तक न तो नौकरी आदि के सम्बन्ध में कोई कदम उठाये गए न ही उन्हें कोई भत्ता आदि मिला है. संविदा कर्मियों का नियमितीकरण करने कोई कदम नहीं उठाया गया है. सरकारी कर्मचारियों में आक्रोश है. शिक्षकों को समय पर वेतन मिलना दूभर हो गया है. बचे शिक्षाकर्मियों का संविलियन समेत उनकी अन्य समस्याओं से सरकार आंखें मूंदी हुई है. कुल मिला कर समाज के हर वर्ग में भीषण आक्रोश है. प्रदेश में एक तरह की अराजकता व्याप्त है.
आज प्रदेश को लगभग दिवालिया हालत में पहुंचा दिया गया है. यहां कानून व्यवस्था की स्थिति दयनीय है. हत्या, लूट, बलात्कार, अपहरण की लगातार घटनाएं हो रही हैं. जनता सीमेंट की मूल्य वृद्धि से परेशान है. प्रदेश में रेत को पंचायतों से छीन कर ठेके पर देने का निर्णय कर सरकार ने पंचायतों का हक़ मारा है. यह निर्णय इसलिए किया गया लगता है ताकि कांग्रेसियों के लिए भ्रष्टाचार की जगह बने. पंचायती राज संस्थाओं को कमज़ोर करने की यह साजिश निंदनीय है. प्रदेश शासन पंचायतों के प्रति इतनी उपेक्षा का भाव रखती है यह इससे भी साबित होता है कि उसने पंचायतों के विकास के लिए पूर्व भाजपा सरकार द्वारा आवंटित राशि भी वापस ले ली है. इसी तरह नगरीय निकाय को विकास से वंचित कर नये कर थोपने एवं सम्पति कर में वृद्धि की गई है, जबकि इसे भी आधा करने का वादा कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किया था. प्रदेश शासन स्वास्थ्य के मोर्चे पर बुरी तरह विफल है और उस पर सस्ती राजनीति कर रही है. मोदी जी की ऐतिहासिक आयुष्मान योजना को भी राजनीति की भेंट चढाने की कोशिशें दुखद हैं जिसका परिणाम गरीब जनता भुगत रही है. प्रदेश में गरीबों को ‘शिक्षा के अधिकार’ का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
छ.ग. भाजपा की यह कार्यसमिति प्रदेश की सरकार को आगाह करना चाहती है की वो लोकतान्त्रिक संस्थाओं का सम्मान करते हुए, लोक अधिकारों के प्रति भी आदर व्यक्त करना सीखे. बदलापुर की राजनीति छोड़ कर विकास कार्य एवं जनता की सेवा में अपना ध्यान केन्द्रित करे. ऐसा नहीं करने पर भाजपा जनाकांक्षाओं की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेगी. छत्तीसगढ़ प्रदेश जिसका निर्माण भारत रत्न अटल जी की सरकार ने किया था और जिसे भाजपा ने प्रगति की नई ऊचाई दी है, उसे यूं बर्बाद होते भाजपा नहीं देख सकती है. वह बड़ा से बड़ा आन्दोलन खड़ा करने से पीछे नही हटेगी.
विगत विधानसभा में पार्टी को अनपेक्षित विफलता का सामना करना पड़ा था. पार्टी जनादेश को बिना किसी बहाने के पूरी विनम्रता से स्वीकार करती है. इस जनादेश के अनुरूप पार्टी छत्तीसगढ़ में फिलहाल सकारात्मक विपक्ष की अपनी भूमिका निभाने के प्रति प्रतिबद्ध है. साथ ही केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुचे, इस निमित्त समूची पार्टी स्वयं को समर्पित करती है. पार्टी इस बात के प्रति आशान्वित है कि उसे लोकसभा चुनाव में मिला अभूतपूर्व जन समर्थन आगामी चुनावों में भी जारी रहेगा. पार्टी पचास प्रतिशत से ज्यादा वोट कायम रखते हुए आगामी नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों में भी शानदार प्रदर्शन करेगी. भाजपा की यह प्रदेश कार्यसमिति कार्यकर्ताओं को आने वाले चुनावों में लोकसभा चुनाव से भी बेहतर परिणाम लाने जुट जाने का आह्वान करती है. यह कार्यसमिति लोकसभा चुनाव में पार्टी को ऐतिहासिक जनादेश देने के लिए फिर से जनता का आभार व्यक्त करती है. भारतीय जनता पार्टी हमेशा की तरह जन-आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करती है.

वन्दे मातरम. जय भारत जय छत्तीसगढ़.

source by cga

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