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नक्सल ऑपरेशन में मदद के लिए जवानों को दिया जा रहा गोंडी भाषा का प्रशिक्षण

दंतेवाड़ा। पुलिस विभाग द्वारा 50 पुलिस कर्मियों को गोंडी भाषा सीखने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गोंडी भाषा का यह प्रशिक्षण पुलिस लाइन कारली में करवाया जा रहा है जो 3 महीनों तक चलेगा। यह ट्रेनिंग गोंडी भाषा के जानकार डीआरजी के जवानों द्वारा ही दी जा रही है। गोंडी भाषा सीखने का यह प्रशिक्षण जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ अभिषेक पल्लव भी ले रहे जी।

गौरतलब है कि नक्सल अभियान में और अन्य सामाजिक पुलिसिंग में गोंडी भाषा का ज्ञान न होने के कारण जवानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि बस्तर अंचल के अधिकांश क्षेत्रों में हल्बी औंर गोंडी भाषा ही बोली जाती हैं। और आपस मे भाषा की समझ न होने के कारण पुलिस कर्मियों औंर ग्रामीणों दोनों को नुकसान उठाना पड़ता था।

पुलिसकर्मियों और ग्रामीणों के बीच भाषा की समझ बढ़ाने के लिये पुलिस विभाग द्वारा एक अभिनव पहल की जा रही है। जिसका निश्चित रूप से फायदा पुलिस विभाग और ग्रामीणों दोनों को मिलेगा। और पुलिस कर्मी ग्रामीणों की भाषा और समस्या आसानी से समझ पायेंगे। पुलिस कर्मियों के गोंडी भाषा सिखने के दूरगामी परिणाम विभाग को अवश्य मिलेंगे।

यदि विभाग का यह प्रयोग सफल रहता है तो पुलिस कर्मियों को नक्सलियों से निपटने में भविष्य में काफी सफलता मिलने की संभावना हैं। अभी पुलिस कर्मियों को ग्रामीणों की भाषा की समझ न होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस बैकफुट पर होती हैं। ग्रामीणों की स्थानीय भाषा की जानकारी होंने पर जवानों और ग्रामीणों के बीच की खाई कम हो जायेगी। और ग्रामीण जवानों को अपने दुःख दर्द के साथ – साथ जवानों की मदद ले भी सकेंगे और जरूरत पड़ने पर जवानों को अंदरूनी क्षेत्रों में आवश्यक मदद दे भी सकेंगे।

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