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कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के लिए इस दिन BJP अध्यक्ष शाह ने खाई थी कसम, इस जीत के साथ बढ़ाया एक और कदम

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में एनडीए गठबंधन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवई में 2014 से भी बड़ी जीत हासिल की है. पीएम मोदी ही वो चेहरा थे जिसके पीछे देश ने एकमत होकर एक पार्टी को इतना बड़ा बहुमत दिया. इसके पीछे एक और शख्स का उतना ही हाथ है जितना कि पीएम मोदी का जिसने इस जीत को बड़ी जीत में बदला जी हां हम बात कर रहे हैं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का जो कि बीजेपी के चाणक्य भी कहे जाते हैं. शाह ने गुजरात की गांधी नगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हुए 5 लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है. 25 जुलाई 2010 को अमित शाह ने जेल में रहते हुए ही कसम खाई थी कि आने वाले दिनों में वो ये बड़ा काम कर देंगे.

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में कांग्रेस ने जेल में डाला था
साल 2010 में सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में कांग्रेस अमित शाह को लगभग तीन महीनों के लिए जेल में डाल दिया और गुजरात से तड़ीपार कर दिया. जिसके चलते अमित शाह गुजरात से लगभग 2 साल तक बाहर रहे. इस दौरान 25 जुलाई 2010 को अमित शाह ने जेल में रहते हुए भारत को कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की कसम खाई. मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक जब अमित शाह जेल में थे तो उस समय वह बाकी कैदियों के साथ भगवत गीता पढ़ा करते थे और लगातार कांग्रेस को खत्म करने की कसम खाया करते थे. इस बात का खुलासा उस समय जेल में रहे दूसरे कैदियों ने भी किया है जो उस समय अमित शाह के साथ रहा करते थे. साल 2015 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट से उन्हें सभी आरोपों से मुक्ति मिल गई.

शाह के ऊपर गुजरात दंगों का भी था आरोप
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर गुजरात दंगों में शामिल होने का भी आरोप लगा था. आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी के करीबी होने की वजह से कांग्रेस ने लगातार उनपर हमले जारी रखे लेकिन अमित शाह वही व्यक्ति हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी का गढ़ गुजरात को बना दिया था उनकी इसी खासियत से अमित शाह को बीजेपी का चाणक्य बोला जाता है. शाह कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा खतरा बनने वाले हैं इस बात को शायद कांग्रेस भी पहले ही भांप गई थी तभी तो कांग्रेस ने अमित शाह के राजनीतिक करियर को खत्म करने का पूरा प्लान भी पहले से ही बना लिया था, और उन्हें गुजरात से तड़ीपार कर दिल्ली में रखा था. जेल में रहते हुए अमित शाह ने भी कांग्रेस से बदला लेने कसम खाई थी कि यह एक ना एक दिन वो भारत को कांग्रेस मुक्त कर देंगे.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने साल 1983 में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, जब वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे. इसके बाद 1986 में इन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली. अमित शाह बीजेपी के वार्ड सेक्रेटरी, तालुका सेक्रेट्री, स्ट्रीट सेक्रेट्री, वाइस प्रेसिडेंट और जनरल सेक्रेटरी जैसे पद संभाल चुके हैं, 1991 में लालकृष्ण आडवाणी को गांधीनगर से जीत दिलाने में अमित शाह के चुनावी मैनेजमेंट की बड़ी भूमिका रही थी.

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