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जानें BJP अध्यक्ष अमित शाह कैसे पहुंचे राजनीति के फर्श से अर्श तक

नई दिल्ली : अपनी रैलियों में बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह खुलकर बताते हैं कि मैं शुरुआती दिनों (1982) में एबीवीपी के कार्यकर्ता के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्‍ण आडवाणी के पोस्‍टर चिपकाता था. यह कहते वक्‍त वो कार्यकर्ताओं को संदेश देते हैं कि बीजेपी में पोस्‍टर चिपकाने वाला भी अध्‍यक्ष पद तक पहुंच सकता है. 30 मार्च को गांधीनगर लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल करने से पहले आयोजित सभा में बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने इन बातों का जिक्र किया था.

2014 के चुनाव में अकल्‍पनीय जीत हासिल कराने वाले अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बाहैसियत अध्‍यक्ष पार्टी को अब शिखर पर पहुंचा दिया है. उनका सफरनामा ठीक वैसा ही है, जैसे बीजेपी का सफरनामा. जैसे वे पोस्‍टर चिपकाने से लेकर अध्‍यक्ष पद तक पहुंचे, वैसे ही बीजेपी 2 सीट से आज 303 तक पहुंच चुकी है.

2014 में भारतीय जनता पार्टी के महासचिव के रूप में उत्‍तर प्रदेश में अमित शाह ने जो कर दिखाया, वो शायद ही किसी के लिए संभव हो. अपनी बारीक चुनावी कौशल का जलवा दिखाते हुए उन्‍होंने 80 में से 73 सीटों पर कामयाबी दिलाई. इसके बाद भी वे रुके नहीं और अब बतौर पार्टी अध्‍यक्ष बीजेपी को बुलंदियों तक ले गए. पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर उन्‍होंने वो कर दिखाया, जो अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्‍ण आडवाणी की जोड़ी ने भी नहीं किया था.

अमित शाह का शुरुआती जीवन
22 अक्तूबर 1964 को मुंबई के एक जैन बनिया परिवार में अमित शाह का जन्म हुआ था. 14 वर्ष की छोटी आयु में वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में शामिल हुए थे. गांधीनगर के एक छोटे से शहर मनसा में ‘तरुण स्वयंसेवक’ के रूप में उन्‍होंने शुरुआत की थी. बाद में वे कॉलेज की पढ़ाई के लिए अहमदाबाद आए, जहां वे एबीवीपी में शामिल हो गए. 1982 में बायो-केमेस्ट्री के छात्र के रूप में अमित शाह अहमदाबाद में एबीवीपी के सचिव बन गए.

फिर वे बीजेपी की अहमदाबाद इकाई के सचिव बने. तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बने और फिर भाजपा प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष बनाए गए.

जीवन के कठिन पल
गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख़ और उनकी पत्नी कौसर बी के कथित फ़र्ज़ी एनकाउंटर में अमित शाह का नाम आने के बाद ऐसा लग रहा था कि अमित शाह का राजनीतिक सफर अब थम गया. अमित शाह उस समय गुजरात के गृह मंत्री थे, जब सोहराबुद्दीन और उनकी पत्नी को 2005 में एनकाउंटर में मार दिया गया था.

अमित शाह का नाम 2006 में तुलसीराम प्रजापति के कथित फ़र्ज़ी एनकाउंटर में भी आया था. सोहराबुद्दीन के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया तो 2005 से 2006 के बीच हुए इस मामले की विस्तार से जांच शुरू हुई. 25 जुलाई 2010 को अमित शाह गिरफ़्तार कर लिए गए. 29 अक्तूबर 2010 को उन्हें ज़मानत मिली थी. उन पर अक्तूबर 2010 से लेकर सितंबर 2012 तक गुजरात में दाख़िल होने पर रोक थी. आख़िरकार सीबीआई कोर्ट ने 30 दिसंबर 2014 को उन्हें बरी कर दिया.

संगठनात्मक कौशल
अमित शाह के बारे में कहा जाता है कि वे एक बेहतरीन मैनेजर हैं. उनका अनुशासन सेना की तरह है जो बीजेपी कार्यकर्ताओं में देखने को मिलता है. वो अपने कैडर को ख़ुद अनुशासन की सीख देते हैं. दशकों से बूथ मैनेजमेंट पर जोर दे रहे हैं. 2010 में उन्‍हें बीजेपी का महासचिव बनाया गया और उत्‍तर प्रदेश की जिम्‍मेदारी दी गई.

यह अमित शाह की ही देन है कि जिस बीजेपी ने यह मान लिया था कि वह हिंदी पट्टी की पार्टी है, उसकी अब नॉर्थ ईस्‍ट के अधिकांश राज्‍यों में सरकारें हैं. त्रिपुरा की वर्षों पुरानी वाम मोर्चा सरकार को बीजेपी ने अगर उखाड़ फेंका तो यह अमित शाह के संगठनात्‍मक कौशल का ही कमाल है. अब पश्‍चिम बंगाल में पार्टी ने ममता के गढ़ को जबर्दस्‍त चोट पहुंचाई है. तेलंगाना में पार्टी ने दमदार उपस्‍थिति दर्ज कराई है.

शाह का सफ़रनामा

22 अक्तूबर 1964: मुंबई में अमित शाह का जन्म
1978: आरएसएस के तरुण स्वयंसेवक बने
1982: एबीवीपी गुजरात के सहायक सचिव बने
1987: भारतीय जनता युवा मोर्चा में शामिल हुए
1989: बीजेपी की अहमदाबाद शहर इकाई के सचिव बने
1995: गुजरात की जीएसएफ़सी के अध्यक्ष बनाए गए
1997: भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बने
1998: गुजरात बीजेपी के राज्य सचिव बने
1999: गुजरात बीजेपी के उपाध्यक्ष बने
2000: अहमदाबाद ज़िला सहकारी बैंक के चेयरमैन बने
2002-2010: गुजरात सरकार में मंत्री रहे
2006: गुजरात शतरंज एसोसिएशन के अध्यक्ष बने
2009: सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ क्रिकेट एसोसिएशन अहमदाबाद के अध्यक्ष और गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रहे
2010: शोहराबुद्दीन कौसर बी फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामले में गिरफ़्तार किए गए
2013: बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बने
2014: गुजरात राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने
2014: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने
2016: सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के सदस्य बने
2016: बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए फिर से चुने गए

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