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IPS आरके विज और मुकेश गुप्ता का प्रमोशन हो सकता है रिवर्ट…

रायपुर, 28 मई 2019। ब्यूरोक्रेसी से एक बड़ी खबर निकल कर आ रही है। डीजी आरके विज और मुकेश गुप्ता का प्रमोशन सरकार रिवर्ट कर सकती है। यानि, फिर से डिमोट कर एडीजी बना सकती है।
विज और गुप्ता 88 बैच के आईपीएस हैं। दोनों को विधानसभा की आचार संहिता लगने के दिन 6 अक्टूबर 2018 को यकबयक डीपीसी करके एडीजी से डीजी बना दिया गया था। हालांकि, उनके साथ 88 बैच के ही संजय पिल्ले भी प्रमोशन पाकर डीजी बने थे।
छत्तीसगढ़ में डीजी के दो पद भारत सरकार द्वारा सेंक्शन हैं। दो पद के खिलाफ दो एक्स कैडर पोस्ट होता है। याने चार राज्य में डीजी के हो सकते हैं। जब पिल्ले, विज और गुप्ता को डीजी बनाने डीपीसी हुई, उस समय डीजी के तीन पद थे। यानी सरकार एक पद पर डीपीसी कर सकती थी। 88 बैच में संजय पिल्ले पहले नम्बर पर हैं। उनके बाद विज और फिर गुप्ता का नम्बर आता है। लिहाजा, पिल्ले के लिए दिक्कत नहीं थी। सरकार एक रिक्त पद पर पिल्ले को डीजी बना सकती थी। मगर राज्य सरकार एक साथ तीनों को डीजी बनाना चाहती थी। इसके लिए दो बार भारत सरकार को पत्र लिखा गया। बताते हैं, तत्कालीन मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को डीओ लेटर तो भेजा ही खुद टेलीफोन पर बात की। इसके बाद भी मिनिस्ट्री ऑफ होम ने एक साथ तीनों को प्रमोशन देने से साफ इंकार कर दिया। दिल्ली का कहना था, आपके पास एक पोस्ट है, एक का प्रमोशन कीजिए। इस चक्कर में दस महीने तक मामला पेंडिंग रहा। 6 अक्टूबर को जब पता चला कि चुनाव आयोग की विधानसभा चुनाव के लिए प्रेस कांफ्रेंस होने जा रही है, सीएम हाउस में डीपीसी करके 88 बैच के तीनों आईपीएस अफसरों को डीजी पद पर प्रमोशन दे दिया। इसके लिए फोन करके चीफ सिकरेट्री अजय सिंह और डीजीपी एएन उपध्याय को सीएम हाउस तलब किया गया था।
जबकि, बिना भारत सरकार के एप्रूवल के राज्य सरकार डीजी जैसे पद पर प्रमोशन नहीं कर सकती। जानकारों का कहना है, राज्य सरकारें चाहे तो अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर विशेष केस में अधिकतम छह महीने के लिए किसी पद पर प्रमोशन दे सकती है। हालांकि, ये भी नियम नहीं है। लेकिन, कई बार राज्य सरकारें ऐसा कर देती हैं। जैसे, संतकुमार पासवान के केस में हुआ था। रमन सिंह की दूसरी पारी में सरकार ने पासवान को बिना पद के स्पेशल डीजी बना दिया था। इस पर भारत सरकार ने नाराज होकर उन्हें डिमोट करने के लिए लिख दिया था। लेकिन, पासवान किस्मती रहे कि उसी समय डीजी का एक पद खाली हो गया। और, वे एडजस्ट हो गए।
वित्त विभाग के अफसरों का कहना है, बिना पद के छह महीने से अधिक वेतन नहीं दिया जा सकता। विज और गुप्ता को डीजी प्रमोट हुए आठ महीने हो गए हैं। इसलिए, उनके वेतन निकालने में अब वैधानिक अड़चन आ रही है।

source npg

mitan bhoomi

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