लखनऊ । चुनाव नतीजों के बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती ने कहा हमने इस लोकसभा चुनाव में और पिछले चुनावों में भी मुसलमानों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया, लेकिन हमें पर्याप्त समर्थन नहीं मिला और वे हमें ठीक से समझ नहीं पाए। इसलिए अब से हम सोच-समझकर ही उन्हें मौका देंगे, ताकि पार्टी को ऐसा नुकसान न हो।
आपको बता दे की लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली है। 2019 में सपा के साथ गठबंधन में बसपा को 10 सीटें मिली थीं। लेकिन 2024 में पार्टी एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी।
बसपा से इस चुनाव में ऐसे ही नतीजों की उम्मीद जताई जा रही थी, क्योंकि उनके पास पहले जैसा संगठन नहीं बचा है। इसके अलावा वह लगातार चुनाव हार रही हैं।
अकेले चुनाव लड़ने की बसपा की रणनीति का उल्टा असर रहा। उनके इस निर्णय से पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। बसपा का परंपरागत वोटर्स जाटव समाज भी इस चुनाव में उनसे दूर हो गया। 79 सीटों पर इनके ज्यादातर उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे हैं।
कुछ जगहों पर उन्हें समाजवादी पार्टी या चंद्रशेखर आजाद और कांग्रेस में उन्हें अपनी उम्मीद नजर आती दिखी है। हालांकि, थोड़े बहुत पुराने इनके वोटर हैं जो अपना नेता मानते हैं। हालांकि, इसकी पुष्टि नतीजे में हो रही है।
बसपा के एक बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बसपा ने इस बार गठबंधन न करके सबसे बड़ी गलती की है। इसके बाद दूसरी बड़ी गलती आकाश आनंद को पद और प्रचार से हटा करके की है।
विपक्ष के साथ न मिलकर चुनाव लड़ना इनके लिए खतरा बन गया। पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पूरी तरह फेल रहे। इनकी जगह सपा ने इस फार्मूले का ढंग से इस्तेमाल किया और उसे सफलता भी मिली। 2019 में जीते हुए ज्यादातर सांसदों को बसपा ने टिकट नहीं दिया। उसका खामियाजा भुगतना पड़ा।