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बंगाल में हार के बाद मची भाजपा में कलह

एनडीए को लोकसभा चुनाव 2024 में बहुमत मिला है और नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। इसके बाद भी महाराष्ट्र, बंगाल और यूपी में भाजपा को निराशा हाथ लगी है। महाराष्ट्र में तो देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को राज्य के डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। इस बीच बंगाल में पार्टी में आपसी कलह तेज हो गई है। राज्य में भाजपा को महज 12 सीटें ही मिली हैं, जहां 2019 में उसे 18 पर जीत मिली थी। अब एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ा जा रहा है। पार्टी के कई नेताओं ने राज्य के प्रभारियों पर ठीकरा फोड़ा, लेकिन किसी का नाम नहीं लिया गया।

तीन बार के सांसद और बिष्णुपुर लोकसभा सीट से फिर जीते सौमित्र खान ने कहा, ‘कई भाजपा नेताओं ने टीएमसी से सीक्रेट गठजोड़ कर रखा था। वरना ऐसे नतीजे नहीं आते। स्थानीय स्तर पर, जिला लेवल और राज्य स्तर पर ऐसा हुआ था। बिना इस तरह की गड़बड़ी के ऐसे नतीजे नहीं आ सकते।’ राज्य में सीटें घटीं तो कई दिग्गज नेता भी हार बैठे। बंगाल से दिलीप घोष, निसिथ प्रमाणिक, लॉकेट चटर्जी, सुभाष सरकार और देबाश्री चौधरी जैसे नेता हार गए। घोष ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘भितरघात और साजिश भी राजनीति का हिस्सा है। मैंने अपनी ओर से बहुत मेहनत की, फिर भी नतीजा खिलाफ रहा। मुझे यहां से लड़ान से लड़ाने वाले भी जवाब दें।’

उन्होंने कहा कि बहुत से कार्यकर्ता तो बाहर ही नहीं निकले। पार्टी यहां 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही आगे नहीं बढ़ पा रही है। यहां जो प्रभारी रहे, उन्हें विचार करने की जरूरत है। पूर्व सांसद और पूर्व भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के नेतृत्व में ही 2019 में 18 सीटें पार्टी को मिली थीं। इस बार वह खुद लोकसभा लड़ रहे थे। लेकिन उन्हें टीएमसी के कीर्ति आजाद के मुकाबले हार मिली। वहीं मिदनापुर सीट से भाजपा कैंडिडेट अग्निमित्र पॉल की भी हार हुई है।

वहीं प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि हमें ऐसे नतीजों की उम्मीद नहीं थी। मैंने सोचा नहीं था कि घोष हार जाएंगे। मेरे पूरे परिवार को सदमा लगा है। वह हमारे नेता हैं, लेकिन आजाद के मुकाबले हार गए। हर फैसला मेरी ओर से नहीं लिया जाता। लेकिन अध्यक्ष के तौर पर मैं जिम्मदारी लेता हूं। उनका इशारा घोष के उस पर आरोप की ओर था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुझे यहां से उतारने वाले जवाब दें। मजूमदार ने कहा कि मैं इस तरह के नतीजों की जिम्मेदारी लेता हूं। बता दें कि मजूमदार खुद 10 हजार वोटों से बलूरघाट सीट से जीते हैं।

शुभेंदु अधिकारी भी आ गए निशाने पर, क्यों हार के बाद घिरे

माना जा रहा है कि दिलीप घोष के आरोपों पर मजूमदार ने यह कहकर जिम्मेदारी शुभेंदु अधिकारी पर डाली है कि सारे फैसले मैं नहीं लेता। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उनका इशारा अधिकारी की ओर था। वह राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष हैं। उन्होंने 2021 में नंदीग्राम विधानसभा सीट से ममता बनर्जी को ही हरा दिया था। कहा जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व की निर्भरता अधिकारी पर बढ़ गई है। इसके चलते राज्य यूनिट में तनाव की स्थिति है और खींचतान मची हुई है।

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