
मुंबई: आमिर खान की फिल्म दंगल अपनी मनोरंजक और प्रेरणादायक कहानी के लिए जाना जाता है। फिल्म ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाला है और अब भी इसका जादू बरकरार है। यह बात तब साबित हुई, जब फिल्म जापान में रिलीज हुई और ताइवान की पहली ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट, चेन शिह-ह्सिन ने इसे देखा और अपनी जिंदगी से मिलता-जुलता पाया।
चेन शिह-ह्सिन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्हें दंगल फिल्म और अपनी जिंदगी में समानता नजर आई। इसके बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैंने कुछ साल पहले चाइनीज सबटाइटल्स के साथ दंगल फिल्म देखी थी, तो मैंने रेसलर्स के पिता और अपने पिता के बीच एक अनोखी समानता देखी थी। मेरे पिता बहुत सख्त और टास्कमास्टर थे, बिल्कुल फिल्म के किरदार की तरह। मुझे लगता है कि वो उससे भी ज्यादा मुझपर सख्त थे।
चेन ने आगे कहा कि आप मुझे अपने पिता के साहस और दृढ़ता के मामले में एक साधारण व्यक्ति कह सकते हैं, जो दंगल के किरदारों जैसे है। मुझे लगा कि मैं विद्रोही हूं, बिल्कुल बॉलीवुड फिल्म की उस लड़की की तरह जिसने नेशनल टीम में शामिल होने के बाद विद्रोह कर दिया था। लेकिन, उसके मुखर विरोध से उलट, मैंने बस जाने दिया था।
तीन साल बाद, एक विज्ञापन ने चेन को घर लौटने पर मजबूर कर दिया। दरअसल, उसमें दिखाया गया था कि एक लड़का अपने बूढ़े माता पिता का उनके बर्थडे के मौके पर ध्यान नहीं रख पाता। जिसके बाद वह अपने पिता के पास फिर पहुंची और अपनी ट्रेनिंग को फिर शुरू करने और साथ मिलकर ओलंपिक के अपने को पूरा करने का संकल्प लिया। हालांकि, इन तीन सालों के नुकसान की वजह से उन्हें 2000 के सिडनी ओलंपिक में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिला, जहां ताइक्वांडो ने ओलंपिक मेडल स्पोर्ट में अपने डेब्यू किया था। चेन शिह-ह्सिन ने साल 2004 एथेंस ओलंपिक में ताइक्वांडो में महिला फ्लाईवेट डिवीजन गोल्ड जीता था। इससे पहले ताइवान ने 72 के ओलंपिक इतिहास में कोई भी गोल्ड नहीं जीता था। ताइवान ओलंपिक खेलों में काल्पनिक नाम चीनी ताइपे के नाम से हिस्सा लेता है।
