छत्तीसगढ़राज्यरायपुर

मुझे महिला आयोग के सम्माननीय सदस्य  लक्ष्मी वर्मा,  सरला कोसरिया एवं सुश्री दीपिका शोरी जी द्वारा झूठे इल्जाम और मनगढ़न्त कहानी बनाकर दुर्भावनापूर्ण तरीके से फंसाने की कोशिश करने के संबंध में लिखित शिकायत पत्र

लगभग विगत 03 वर्षो से माननीय अध्यक्ष महोदय के निज सहायक के पद पर कार्य कर रहा हूँ। मुझे बार-बार महिला आयोग की सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा जी एवं श्रीमती सरला कोसरिया जी द्वारा अपमानित किया जा रहा है तथा मुझे मनगढ़न्त तथा दुर्भावनापूर्ण तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाने की लगातार प्रयास किया जा रहा है।
मुझे पत्रकार साथियों के माध्यम से आज यह जानकारी प्राप्त हुई है कि मेरे ऊपर क्रमशः:-
नरी गांव जिला बेमेतरा की दो आवेदिकाओं से 25 हजार रूपये लेने एवं महिला आयोग में ‘‘दादागिरी’’ कर प्रकरणों की सुनवाई अपने अनुसार करवाने का आरोप लगाया गया है।
मै आपको सूचित करता हूँ कि ये सभी आरोप पूर्णतः झूठे, निराधार और दुर्भावनापूर्ण है। इन आरोपों का उद्देश्य केवल मुझे और माननीय अध्यक्ष जी के दिशा निर्देशों में कार्य कर रहे छ.ग. राज्य महिला आयोग के मेरे ईमानदार नियमित एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी साथियों को बदनाम करना है।

1. ‘‘ प्रताड़ना और धमकियां ‘‘:- शुरूआत से ही सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा एवं श्रीमती सरला कोसरिया जी के द्वारा मुझे डराने-धमकाने का प्रयास किया जाता था और कहा जाता था कि तुम ‘‘दो कौड़ी के आदमी हमारे सामने तेरी औकात नही है बात करने का।’’ जबकि मै आपके इस कार्यालय में माननीय अध्यक्ष जी का निज सहायक होने के नाते पूर्णतः अधिकृत रूप से कार्यरत हूँ। सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा एवं श्रीमती सरला कोसरिया जी ने मुझे कई दफे कहा कि मै माननीय अध्यक्ष जी के खिलाफ आयोग में कार्य करू तभी तुमको आयोग में रहने देंगे। कई बार सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा ने मुझे सार्वजनिक रूप से अपमानित करते हुए कहा ‘‘दो कौड़ी का दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हो।’’ हमारी सरकार है जब चाहे तुझे किसी भी झूठे केस

 

बनवाकर फसवा सकते है। जब मैने सदस्यों के इशारों पर काम करने से इंकार किया और अपने कार्यो में इमानदारी दिखाई तो उन्होने मुझे इस प्रकार से झूठे प्रकरणों में फंसाने की योजना बनाई।

2. ‘‘ रूपये लेने का झूठा आरोप और षड़यंत्र ‘‘:- मेरे ऊपर आरोप लगाया गया कि मैने नरीगांव जिला बेमेतरा की दो आवेदिकाओं से 25 हजार रूपये लिये। यह पुरी तरह असत्य और निराधार है। आवेदिकाओं का शिकायत आवेदन का एंट्री आवक-जावक रजिस्टर में आज तक नही है। सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा जी के द्वारा स्वरचित झूठा एवं मनगढ़न्त आवेदन बनवाया गया है। फोटो काॅपी में मेरे नाम को अलग से नीचेेेे जोड़ा गया जो कि आयोग में उनके चहेते दैनिक वेतन भोगी पूर्व कर्मचारी राघवेन्द्र साहू के द्वारा लिखा जाना यह स्पष्ट करता है कि मैनें ईमानदारी से कार्य किया और माननीय अध्यक्ष जी के खिलाफ इनके द्वारा कूट-रचित कृत्य में सहयोग करने से इंकार किया।

3. ‘‘ आयोग के पूर्व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी राघवेन्द्र साहू ने सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा के आदेश पर मुझे फंसाने और माननीय अध्यक्ष जी को बदनाम करने के लिये यह षड्यंत्र रचा ‘‘:-
जब आवेदिकाओं को इसका पता चला उन्होने लिखित में स्पष्ट किया कि उन्होने मुझे कोई पैसा नही दिया और ना ही कोई शिकायत की है। इसके बाद सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा के कहने पर आयोग के पूर्व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी राघवेन्द्र साहूू ने दोनो आवेदिकाओं के फर्जी हस्ताक्षर करके सूचना का अधिकार (त्ज्प्) आवेदन प्रस्तुत किया। इसका प्रमाण सूचना के अधिकार आवेदन के स्टाम्प पेपर के पीछे आयोग के पूर्व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी राघवेन्द्र साहू का हस्ताक्षर तथा नाम स्पष्ट दिखाई दे रहा है। आवेदिकाओं के सहमती के बिना फर्जी हस्ताक्षर कर निकाले गये इस फर्जी त्ज्प् की प्रति स्वयं सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा के द्वारा एक वकील और एक मीडिया कर्मी को दी गई जिसमे महिला आयोग अध्यक्ष के खिलाफ अनर्गल बयान और माननीय अध्यक्ष जी को बदनाम करने का प्रयास किया गया। इसी आधार पर मेरे खिलाफ इससे पहले भी बदनामी की कोशिश की गई। जब ये बात आपके संज्ञान में आयी तब आपने सहायक संचालिका श्रीमती पुष्पा किरण कुजूर और लिपिक श्री मनहरण लाल यादव को जाँच के लिये नरी गांव भेजकर संपूर्ण तथ्य की जानकारी लिये और जाँच पश्चात् आयोग के पूर्व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी राघवेन्द्र साहू को नौकरी से निकाल दिया गया है।
नरी गांव के आवेदिकाओं ने कोई त्ज्प् आवेदन नही दिया था और ना ही कोई वकील या किसी अन्य व्यक्ति को अधिकृत किया था, जिसे आयोग के पूर्व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी राघवेन्द्र साहू माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा जी के मार्गदर्शन में फर्जी हस्ताक्षर कर दस्तावेज निकाले थे। जब यह बात इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से आवेदिकाओं तक पहूँची तब उन्होने अपने हस्ताक्षर के दुरूपयोग के खिलाफ स्टाम्प पेपर में शपथ पत्र के साथ अपना बयान लिखकर आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इस पुरी घटना से स्पष्ट है कि सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा जी ने मुझे निशाना बनाया और आयोग के दैनिक वेतन भोगी पूर्व कर्मचारी राघवेन्द्र साहू को मोहरा बनाकर उसका भी दुरूपयोग कर उसे भी फंसाया है ?

4. ‘‘ मेरे ऊपर दादागिरी के झूठे आरोप ‘‘:- दूसरा आरोप प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से कल लगाया गया कि मै आयोग में दादागिरी करता हूँ और प्रकरणों की सुनवाई अपने अनुसार करवाता हूँ। मेरे ऊपर लगाये गये यह आरोप भी झूठे इल्जाम और मनगढ़न्त कहानी बनाकर दुर्भावनापूर्ण कृत्य है। कल के पत्रकार वार्ता में बैठे तीनो सदस्यों का मानना है कि भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही न की जाय चाहे महिला कितनी भी पीड़ित क्यों ना हो ? जब मैने ऐसे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई तो मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए।

5. ‘‘ आयोग में हो रहे अनियमित कार्य और पक्षपात ‘‘:- सदस्यों द्वारा आयोग में लगातार मनमानी किया जाता है सभी कर्मचारियों को डराया धमकाया जाता है। अगर आवेदन में कोई सबूत भाजपा के खिलाफ है तो उसे दबाव बनाकर गायब करने की कोशिश किया जाता है जैसे कि:-

 

उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत कथन:-

1. कोरबा जिला के हजारों गरीब महिलाओं को लूटने वाले चिटफंड कंपनी फ्लोरा मैक्स के मामले में अध्यक्ष द्वारा कार्यवाही करने के लिए दो सदस्यीय टीम का गठन किया था जिसमें सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा एवं श्रीमती सरला कोसरिया को माननीय अध्यक्ष जी ने जिम्मेदारी सौंपी थी परंतु आज तक दोनो सम्माननीय सदस्य कोरबा जाकर अब तक कोई जाँच नही किये है क्योंकि इसमें भी शायद इनके ही पार्टी के लोगों की संलिप्तता इनको परिलक्षित हुआ होगा तभी तो आज तक रोते बिलखते हजारो गरीब महिलाओं की वेदना इन्हे नही दिख रही है इसलिये जाँच हेतु नही पहूँच रही है ?

2. नारायणपुर जिला के भाजपा पार्षद द्वारा गरीब महिला की जमीन हड़पने के मामले में जब माननीय अध्यक्ष द्वारा पीड़ित महिला को इंसाफ दिलाया गया तो वहीं पर सम्माननीय सदस्य श्रीमती सरला कोसरिया के द्वारा सुनवाई के दौरान ही सार्वजनिक रूप से बोली कि अध्यक्ष जी गलत किये आप हमारे पार्षद को नुकसानी में डाल दिये ? इस बाबत् नारायणपुर की आवेदिकागणों ने आयोग में लिखित शिकायत प्रस्तुत की है।

3. बालोद जिला शिक्षिकाओं के आवेदन में भाजपा नेता के खिलाफ एक पत्र सबुत के रूप में शामिल था उस पत्र को सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा ने सुनवाई के फाईल से निकालकर स्वयं रख लिये और आज तक आयोग को नही लौटाये है ?

4. रायगढ़ जिला सुनवाई के दौरान सदस्य श्रीमती सरला कोसरिया ने सुनवाई के बीच अनावेदक पक्ष के सहयोगी व्यक्ति को बिना किसी वजह के सार्वजनिक रूप से सुनवाई के बीच उल्टा सीधा बोलकर धमकाया और अपमानित किया।

 

बहुत सारे ऐसे उदाहरण है कि:-

(1) अगर किसी मामले में भाजपा नेता या भाजपा के सहयोगी संगठन के कोई भी जुड़े व्यक्ति शामिल है तो तीनों सदस्यगण उसे दबाने की कोशिश करते है। मै ऐसे मामलों में पीड़ित महिलाओं की सहायता करता हूँ तो मेरे खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाकर मुझे बदनाम किया जा रहा है।
(2) वर्तमान में तीन ऐसे मामले आयोग में चल रहे है नारायणपुर जिले के जिसमें तीनों आवेदिकाओं द्वारा महामहिम राज्यपाल जी तक सदस्यों के खिलाफ लिखित शिकायत दी गई है कि इन तीनों सदस्यों की सदस्यता समाप्त किया जाये और इन तीनो सदस्यों को बजरंग दल की वकील नियुक्त किया जाये। तीनो आवेदिकाये आदिवासी समाज की 20-21 वर्ष की युवा महिलाये है। उन्हे डराने-धमकाने की कोशिश की गई और कहा गया कि सही किये है ‘‘बजरंग दल वाले मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किये तुम ईसाई हो’’। इससे स्पष्ट है कि इन सदस्यों की नीयत महिलाओं को न्याय दिलाने वाली नही है। जब माननीय अध्यक्ष जी के दिशा-निर्देश में हमने पीड़ित महिलाओं को सहायता दी तो उल्टा इल्जाम लगाकर मुझे फंसाया गया।
(3) सिर्फ मै ही नही बल्कि आयोग के कई शासकीय कर्मचारी और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी भी इन तीनों के प्रताड़ना से भयभीत और दुखी है। इन तीनों सदस्यों के द्वारा कल आपके कक्ष में घुसकर डराया-धमकाया और चमकाया गया कि हमारी सरकार है हमारे हिसाब से कार्य करो और अगर नही कर सकते तो यहां से चले जाओ तुम्हारे जैसे सचिव की हमे कोई जरूरत नही है। माननीय सचिव जी आपको भी कल इसका सामना करना पड़ा और किस तरीके से अपमानित किये हम सब कर्मचारी इसके चश्मदीद गवाह है।

5. ‘‘ पूर्व सचिव का अपमान और कर्मचारियों पर दबाव ‘‘:- छ.ग. राज्य महिला आयोग के पूर्व सचिव श्री मनोज कुमार सिन्हा जी के साथ भी इन सदस्यों ने अपमान जनक व्यवहार किया जिससे पुरा स्टाफ शर्मसार है। सदस्यों की नियुक्ति वाले दिन कई भाजपा कार्यकर्ताओं को बुलाकर उनके साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया गया तथा हंगामा और राजनीतिक दबाव बनाया गया। आज भी जो कर्मचारी ईमानदारी से काम करते है उन्हे तीनों सदस्यों के द्वारा धमकाया जाता है कि सरकार हमारी है तो तुम लोगों को काम भी हमारे हिसाब से ही करना होगा नही तो तुम्हे यहां से भगाएंगे और ट्रांसफर करवा कर नक्सली क्षेत्रों में भेज कर मरवा देंगे।

कल पत्रकार वार्ता में अनाधिकृत व्यक्ति कहने वाले सदस्यों ने स्वयं अनाधिकृत व्यक्ति आयोग के पूर्व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी राघवेन्द्र साहू जिसने आवेदिकाओं की फर्जी दस्तखत कर त्ज्प् से फर्जी दस्तावेज निकाले थे उसको लगातार कार्यालय में आने की अनुमति दे रही है जिसे की आपके द्वारा नौकरी से हटा दिया गया है, जिसने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज आवक-जावक काऊंटर बैठकर गायब करने का कार्य किया है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज महामहिम राज्यपाल जी के यहां से आये हुये माननीय अध्यक्ष जी के नाम के पत्र को भी गायब किया है। इस व्यक्ति को बचाने के लिए प्रेस कांफ्रेस कर मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए। उपरोक्त सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि सम्माननीय सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्रीमती सरला कोसरिया जी द्वारा मुझे लगातार निशाना बनाया जा रहा है। मेरे ऊपर लगाये गये सारे आरोप झूठे निराधार और राजनीतिक प्रेरित है। इनका उद्देश्य केवल मुझे और आयोग को बदनाम करना तथा भाजपा से जुड़े व्यक्तियों को बचाना है। मै अपने कार्यो में पूरी तरह ईमानदार और जिम्मेदार हूँ।

अतः सविनय निवेदन सहित करबद्ध प्रार्थना है कि कृपया इस पुरे प्रकरण की निष्पक्ष जाँच कर उचित कार्यवाही करने की कृपा करें।

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