रायपुर। व्यापम और चिप्स पर भाजपा की बयानबाजी पर पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि सर्वर में हुई गड़बड़ी तो भाजपा के 15 वर्षों के शासन के विरासत का छोटा सा उदाहरण है।
उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार में इन संस्थानों का उपयोग गड़बड़ी कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के लिये ही किया जाता रहा और उसके देखरेख में लापरवाही बरती जाती रही। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने चिप्स को भ्रष्टाचार का अड्डा बना कर रख दिया था।
चिप्स को गठन का उद्देश्य सरकारी विभागों को आनलाईन और डिजिटलाईजेश करना बताया गया लेकिन हकीकत में सरकारी विभागों के टेंडर और ठेकों के कामों को चिप्स के माध्यम से केन्द्रींयकरण करके चिप्स के माध्यम से एक व्यक्ति को सर्वाधिकार संपन्न बना दिया गया। उसी का परिणाम हुआ कि चिप्स में ई-टेंडर के नाम पर हजारों करोड़ का टेंडर घोटाला कर दिया गया। चिप्स से सारे विभागों को जोडऩे के पहले इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं किया गया।
चिप्स के मेंटेनेंस का ठेका भी राज्य के बाहर की कंपनियों को उनका परफार्मेंस जाने बिना कमीशनखोरी के उद्देश्य से दे दिया गया। छत्तीसगढ़ के बाहर की कंपनियों को चिप्स के माध्यम से सेवा और सर्विस के नाम पर मोटी रकम लुटायी जाती रही है।
इनकी मिलीभगत से सालभर के काम का कान्ट्रेक्ट कर कई कंपनिया 2-3 महीनो में ही पूरा पैसा लेकर भाग जाती थी। चिप्स के सर्वर में गड़बड़ी आने के कारण हजारों परिक्षार्थियों के प्रवेश पत्र प्रिंट नही हो सके। इसे देखते हुये पीईटी के परीक्षा को स्थगित किया गया। अब सर्वर की गड़बड़ी को ठीक कर लिया गया है।
अब परीक्षा की तिथी बहुत जल्द ही घोषित की जायेगी। सभी परिक्षार्थियों का प्रवेश पत्र डाउनलोड होना शुरू हो गया है और 10000 से अधिक परिक्षार्थियों ने अपने प्रवेश पत्र डाउनलोड भी कर लिये है।
चिप्स को लेकर भाजपा के द्वारा की जा रही बयानबाजी जिस चिप्स में बड़ा घोटाला हुआ नवंबर 2015 से लेकर मार्च 2017 के बीच 1459 टेंडर डालने के लिये एक ही ईमेल आईडी का 235 बार उपयोग किया गया। 17 विभागो के अधिकारियों ने 4601 करोड़ के टेंडर में 74 ऐसे कम्प्यूटरों का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने में किया, जिनका उपयोग वापस उन्हीं टेंडर निविदा भरने के लिये किया गया।