रायपुर. पांच साल पहले 8 साल की भनपुरी की दिव्या वर्मा की डाॅग बाइट से मौत हो गई थी। 11 जून 2015 को बुनियाद नगर स्थित घर के सामने खेलते समय कुत्तों ने उस पर हमला किया था। हमले में बच्ची की दाईं आंख के ऊपर की चमड़ी निकल गई थी और माथे तथा सिर में कुत्तों ने दांत गड़ाए थे। बच्ची को भनपुरी स्थित जेठानी अस्पताल में भर्ती किया गया था।
बच्ची के पिता अशोक ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया था। लेकिन हालत में सुधार न होने पर कुछ दिन बाद अंबेडकर अस्पताल में रैफर कर दिया गया। यहां करीब 19 दिन इलाज चलने के बाद दिव्या ने दम तोड़ दिया। क्योंकि, मौत अंबेडकर में हुई, इसलिए इलाज में लापरवारी का दोष अस्पताल प्रबंधन के सिर अा गया।
इसके बाद बच्ची के परिजन कोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल काॅलेज प्रबंधन ने बच्ची के पिता अशाेक वर्मा को अाॅटोनाॅमस फंड से 10 लाख रुपए की मुअावजा राशि दी है। दरअसल कई मामलों में देखा गया है कि परिजन कुत्ता काटने के कई दिन बाद एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं। तब तक पीड़ित इंफैक्ट होने लगता है। लेकिन अस्पताल जब पूरा रिकॉर्ड रखेंगे तो जिम्मेदारी और लापरवाही, दोनों स्पष्ट हो जाएंगी।
दिव्या के केस में हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने जिस अस्पताल में मासूम की मौत हुई, उसी को मुआवजा देने के लिए कहा। सीजीएमएससी के गोदाम से लेकर मेडिकल स्टोर व थोक दवा बाजार में एंटी रेबीज वैक्सीन की मारामारी बनी हुई है। अंबेडकर में शनिवार को 40 वायल आए थे, जो खत्म हो गए। इसके बाद मरीजों को ब्लैक में खरीदकर वैक्सीन लगवानी पड़ी।
सीएमओ को भेजनी होगी रिपोर्ट : अब सरकार चाहती है कि डाॅग बाइट के हर केस में स्पष्ट होना चाहिए कि लापरवाही किस स्तर पर हुई। इसलिए अब स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में सभी अस्पतालों को निर्देश दिए हैं कि डाॅग बाइट के हर केस की जानकारी अब एक प्रोफार्मा में देनी होगी। इसमें पीड़ित का नाम, पिता का नाम, मोहल्ला, घटना दिनांक और स्थल और जख्मों की जानकारी अस्पतालों को हर माह सीएमओ दफ्तर को भेजनी होगी। ऐसा न करने पर कार्रवाई होगी।