
रायपुर . विधानसभा चुनाव के लिए लगी आचार संहिता इस बार दो माह तक बिजली की हर माह तय होने वाली कीमत तय नहीं हो पाई। अब आचार संहिता हट गई है तो जो कीमत तय हुई है, उसका समायोजन अगले माह बिजली बिलों में किया जाएगा। सितंबर की बिजली जहां सवा चार फीसदी सस्ती हो गई थी, वहीं अक्टूबर की बिजली करीब पौन फीसदी महंगी हो गई थी। अब दोनों माह के बिल का हिसाब करके अगले माह जब समायोजन होगा तो इसमें करीब 4 फीसदी का फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा।
प्रदेश में अब तक बिजली उपभोक्ताओं से वीसीए के रूप में बिजली की कीमत बढ़ने से अंतर की राशि वसूली जाती थी, लेकिन इसको केंद्र सरकार ने नए सत्र अप्रैल से बंद कर दिया है। इसके स्थान पर केंद्रीय सरकार के निर्देश पर छत्तीसगढ़ राज्य बिजली नियामक आयोग ने अब उत्पादन लागत के अंतर की राशि को उपभोक्ताओं से वसूलने के लिए नया फार्मूला फ्यूल पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) लागू कर दिया है। एफपीपीएएस में पहले माह 5.3 प्रतिशत शुल्क लगा था, लेकिन दूसरे माह में शुल्क डबल हो गया और दस फीसदी ऊर्जा प्रभार पर शुल्क लगा। तीसरे माह 14.23 फीसदी शुल्क लगा। चौथे माह जुलाई में शुल्क में कमी आई और यह 11.23 फीसदी हो गया। इसके बाद अगस्त माह में कमी आई और शुल्क 10.31 प्रतिशत हो गया। लेकिन सितंबर में आचार संहिता के कारण फेरबदल नहीं हो सका तो ऐसे अक्टूबर में सितंबर का जो बिल आया था, उसमें अगस्त माह की खपत पर ऊर्जा प्रभार में 10.31 प्रतिशत के हिसाब से शुल्क लिया गया। अब एक बार फिर से दिसंबर में अक्टूबर माह का जो बिल आ रहा है उसमें भी अगस्त माह का ही 10.31 प्रतिशत का शुल्क लिया जा रहा है।
एक माह 6 फीसदी दूसरे माह 11 फीसदी शुल्क
अगस्त माह में 10.31 प्रतिशत ऊर्जा प्रभार पर शुल्क लिया गया। सितंबर माह में करीब 6 फीसदी हो गया। ऐसे में इस माह 4.31 फीसदी की राहत मिली है। इसके बाद अक्टूबर के बिल में ऊर्जा प्रभार बढ़कर करीब 11 फीसदी हो गया है। इस माह उपभोक्ताओं से 10.31 फीसदी की दर से बिल लिया गया है। ऐसे में इस माह करीब पौन फीसदी ज्यादा शुल्क लगा है। दोनों माह का जब बिल नवंबर के बिल में समायोजित होगा और यह बिल दिसंबर के बिल में जनवरी में आएगा तो इसमें करीब चार फीसदी की राहत मिलेगी।
