
रायपुर। पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा.चरणदास महंत ने जब कहा था कि अगला चुनाव सिंहदेव के नेतृत्व में लड़ा जायेगा तो बवाल मच गया था लेकिन जब दिल्ली से सुरसुरी आ रही है तब सबको लग रहा है कि उन्होने शायद कुछ मिले क्लू के आधार पर ही कहा रहा होगा। सियासी खबर ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ओबीसी चेहरे के तौर पर एआईसीसी में महासचिव बनाया जा रहा है.वहीं पीसीसी प्रमुख दीपक बैज को हटाकर उनकी जगह पर पूर्व उप मुख्यमंत्री टी.एस.सिंहदेव को राज्य की कमान सौंपी जा रही है। इस सारे गुणा भाग के पीछे की वजह ये बतायी जा रही है कि छत्तीसगढ़ में अब चार साल तो कुछ होना नहीं हैं क्योकि बीजेपी की सरकार है। राष्ट्रीय स्तर पर लोकसभा में कुछ सुधरे प्रदर्शन के बाद जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए कांग्रेस का सुफड़ा साफ हो गया। यहां तक कि आईएनडीए गठबंधन में भी दरार पड़ गई। संगठनात्मक बदलाव की जरूरत महसूस की गई। ऐसे में कुछ नए चेहरों को दिल्ली शिप्ट करने की बात आई। भूपेस के अलावा करीब आधा दर्जन नाम अन्य राज्यों से भी शामिल बताये जा रहे हैं। अब बात छत्तीसगढ़ की करें तो पन्द्रह साल का वनवास जब कांग्रेस का खत्म हुआ था और पिछली बार कांग्रेस की सरकार बनी थी तब सिंहदेव के घोषणा पत्र को काफी अहम माना गया था लेकिन मुख्यमंत्री बना दिए गए भूपेश बघेल,पांच साल खटपट चलते रही। बघेल एकतरफा फैसले लेते रहे और पार्टी के भीतर आंतरिक मतभेद बढ़ गए,कार्यकर्ताओं को संतुष्ट नहीं किया जा सका,फिर भी परिणाम पक्ष में मानते रहे और निपट गए। विधानसभा चुनाव हारने के बाद जितने भी चुनाव हुए सब में हार मिली। वहीं पार्टी के अध्यक्ष बैज वो पकड़ नहीं बना पाये जिसकी उम्मीद रखी जा रही थी। भले ही उन्हे आदिवासी चेहरा मानकर आगे किया गया था। संगठन के प्रभारी सचिन पायटल के मार्फत कुछ रिपोर्ट आलाकमान तक भी पहुंची है,जिसके चलते यह समायोजन करते हुए पार्टी का ग्राफ बढ़ाने के लिए भूपेश को दिल्ली भेजने के बाद सिंहदेव को कमान सौंपने की तैयारी संभावित है,उनके नाम पर किसी को आपत्ति भी नहीं हैं। ताकि चार साल में फिर से पार्टी को खड़ा किया जा सके। अब देखना ये हैं कि कब तक इस पर अधिकृत तौर पर आलाकमान मुहर लगाती है। या फिर कांग्रेस की ढुलमुल फैसलों के बीच संभावना ही बनकर रह जाती है।
