छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ के चिटफंड घोटालों को लेकर कांग्रेस ने कुछ सवाल पूछा है।भारतीय जनता पार्टी ने 15 सालों तक छत्तीसगढ़ में डॉ रमन सिंह की सत्ता की है,और 15 सालो बाद कांग्रेस सरकार आई है। कांग्रेस ने चिटटफंड घोटालों के मुख्य तथ्य सामने रखा है,जो इस प्रकार है….
1. साल 2009 से 2017 के बीच रमन सिंह सरकार ने छत्तीसगढ़ के हर जिले में चिटफंड कंपनियों के रोजगार मेलों का आयोजन किया। इनका निमंत्रण बाकायदा जिला रोजगार अधिकारियों द्वारा जारी किया गया तथा मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह से लेकर, उनके बेटे अभिषेक सिंह, पत्नी वीणा सिंह व भाजपाई मंत्री तथा आला अधिकारी इन रोजगार मेलों में शामिल हुए। चिटफंड कंपनियों ने इन मेलों के माध्यम से मासूम युवाओं से छल किया व उनसे तथा भोली भाली जनता से हजारों करोड़ रुपया डकार लिया।
जिला रोजगार अधिकारी, जगदलपुर जिला बस्तर, कांकेर व कवर्धा द्वारा जारी किए गए 2010, 2011 व 2012 में निमंत्रण दी गयी थी। जिला अधिकारी कवर्धा के निमंत्रण से साफ है कि स्वयं मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मुख्यमंत्री के पुत्र अभिषेक सिंह सांसद ने बाकायदा अनमोल इंडिया एग्रो फार्मिंग एवं डेयरीज़ केयर लिमिटेड द्वारा खोले गए अनमोल बचपन स्कूल के कार्यक्रम में शिरकत की तथा इन्होंने बाद में कंपनी व स्कूल, दोनों पर ताला लगा दिया। मुख्यमंत्री की पत्नी, श्रीमती वीणा सिंह ने इसी प्रकार याल्को कैरियर बिल्डिंग नामक कंपनी का शिलान्यास किया।
यही नहीं प्रदेश के गृहमंत्री, रामसेवक पैंकरा ने भी सनशाईन/बीपीएन कंपनी के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इल्ज़ाम यह भी है कि श्री पैंकरा ने सनशाईन/बीपीएन कंपनी के लोगों से भाजपा के पार्टी फंड में राशि भी दिलवाई। इसी प्रकार से भाजपा के अन्य मंत्रियों ने चिटफंड कंपनी के कार्यक्रमों में खुलेआम हिस्सा लिया तथा कंपनियों ने जनता का हजारों करोड़ रुपया डकार लिया।
2. साल 2010 से 2016 के बीच चिटफंड कंपनियों द्वारा पैसे की इस खुली लूट की शिकायतें सरकार व अधिकारियों को मिलती रहीं। कुछ कंपनियों के कार्यालय सील भी हुए। परंतु राजनैतिक संरक्षण के चलते इन सब कार्यालयों की सील दोबारा खोल उन्हें जनता से लूट की छूट दे दी गई। कंपनियों के कार्यालय की सील खोलने के बारे में दिनांक 24.11.2010, 21.11.2011, 22.03.2014, 07.06.2014, 25.06.2014, 31.01.2015, 03.08.2015 व 20.01.2016 को जारी पत्रों किए गए। इससे साफ है कि ठगी के सबूतों के बावजूद, भाजपा सरकार कंपनियों की सील खोलकर इन्हें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लूट का लाईसेंस दे रही थी।
3. SEBI व केंद्र सरकार द्वारा 2009 से 2014 के बीच व उसके बाद इन चिटफंड कंपनियों के धंधे पर पाबंदी लगाई गई, परंतु छत्तीसगढ़ में सरकार के संरक्षण में बगैर रोकटोक के इन चिटफंड कंपनियों की जनता की कमाई की लूट जारी रही। सेबी व केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए छत्तीसगढ़ में लूट का खेल खेलने वाली इन चिटफंड कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए गए।
4. छत्तीसगढ़ की जनता लुटती रही। 161 कंपनियों पर 310 से अधिक एफआईआर भी दर्ज हुई, परंतु एक फूटी कौड़ी लूटी गई राशि की वसूली नहीं हुई। इस बारे छत्तीसगढ़ की विधानसभा में दिए गए जवाब दिनांक 16.11.2016 है। 310 एफआईआर की है।
चोरी-धोखाधड़ी, फरेब व लूट के इस खेल के चलते चिटफंड कंपनियों के 57 प्रतिनिधियों ने आत्महत्या कर ली। कुछ की हत्या भी हो गई। परंतु सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
source by hns24news